Sunday, August 10, 2014

Rakhi

On this rakhi, for all the brothers who kept waiting for their rakhi, but it never came.


एक राखी ही तो थी
तो क्या हुआ जो नहीं भेजी इस बार
चंद धागे ही तो हैं
जो ज़रा सा ज़ोर लगाओगे तो वैसे भी टूट जायेंगे

एक राखी ही तो थी
इससे रिश्ते थोड़े ही बंधते हैं
गर प्यार होता भाई और बेहेन में तो राखी की क्या ज़रुरत पड़ती?
राखी और भाई बेहेन के रिश्ते में ये भी क्या कोई जोड़ हुआ?

अभी तो  तुम और मैं अपनी अपनी ज़िन्दगी में घुले हुए हैं
तो एक राखी की क्या बिसात की हमें परेशान करे
एक राखी की क्या मजाल की हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में से कुछ मिनट खा जाये

वैसे भी साल में एक बार ही तो आती है
जो नहीं भेज पाये तो कुछ ख़ास फरक नहीं पड़ जायेगा
ये कोई बॉम्बे की लोकल थोड़े ही है की मिस कर दो तो ऑफिस में लेट पहुचने का डर लग जायेगा

एक राखी ही तो थी...