All right, before people label me as a forlorn lover, I am not! So read this as an artistic creation as compared to a 'felt' one :P
सोचता तो था की शायद उसको याद करता हूँ
पर अहसास अब कुछ कम होता है
कुछ समय पहले चाहता तो उसे बहुत था
पर महसूस अब थोडा कम करता हूँ
कहीं से कुछ कम हुआ है या खुद ही ख़त्म हो रहा हूँ
पर कुछ बातों को याद करके मायूस अब थोडा कम होता हूँ
सूरज को देखने की आदत तो नहीं पड़ी है,
पर चाँद को अब कभी कभी ही देखता हूँ
किसी और का नाम तो नहीं आया है अभी जुबां पे,
पर उसका नाम ज़रूर कम लेता हूँ
देर रात तक जागना तो अभी शुरू नहीं किया है,
पर रात में अभी भी कम सोता हूँ
आँखें अभी तक सूखी तो नहीं है
पर शायद अब थोडा कम रोता हूँ..
6 comments:
Do you take requests? Then I request your next poem should be about "denial"!!
awesome....
dil to nahi maanta ki uski aankhon mein ab pyar nahi
par dimaag kuch aur maanane nahi deta
:)
Same goes for you too :D
Doosri ladkiyon ko dekhta to nahi,
par ignore ab thoda kam kartaa hoon...
:D best that i could add to your very well written piece!
okay here's a challenge for you...can you write 1 original poem in one or more of happier, non-love, non-love-failure, non-any-failure, non-imagined-but-actually-felt emotions [ thts not even a word!! :P ] theme...????
So Mr. Programmer and now-a-manager has poetic side too. Well well well. Nice composition.
Post a Comment